आज पटना के ए.एन. कॉलेज के एजुकेशन डिपार्टमेंट में टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन

 


आज पटना के ए.एन. कॉलेज के एजुकेशन डिपार्टमेंट में टेराकोटा वर्कशॉप का आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ. रीता सिंह की अध्यक्षता में की गई l वर्कशॉप असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश कुमार रंजन के नेतृत्व में संचालित हुआ।  इस वर्कशॉप में विभागीय शिक्षक डॉ. अन्नपूर्णा कुमारी, डॉ. संतोष कुमार विश्वकर्मा, डॉ. अमृता सिंह भी शामिल हुई।

आज के इस आधुनिक समय में टेराकोटा आर्ट का अस्तित्व शायद ही बचा है। टेराकोटा का उपयोग हजारों वर्षों से हमारे भारतवर्ष और अन्य सभ्यता में होता आ रहा है। टेरेकोटा" शब्द का अर्थ है "पकी हुई मिट्टी"।इस आर्ट में मिट्टी को ढालकर और पकाकर तैयार किया जाता है।

भारत में टेरेकोटा कला का विशेष स्थान है। यहाँ की ग्रामीण सभ्यता में यह कला आज भी जीवित है। सिंधु घाटी सभ्यता में टेरेकोटा से बने खिलौने, आभूषण और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिली हैं। इसके बाद मौर्य, गुप्त और मुगल काल में भी इस कला का विकास हुआ। 

आज के समय terracotta ने प्राचीन और आधुनिक कलाओं का मिश्रण बन चुका जहां लोग आज़ मिट्टी के बर्तन , मूर्ति, पूजा के सामग्री  के साथ साथ कुछ आधुनिक बरतनों का भी निर्माण जैसे प्रेसर कूकर बॉटल इत्यादि का निर्माण मिट्टी के मदद से कर रहे है।

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