दुनियाँ की प्राचीनतम संस्कृति भारतीय संस्कृति है। हजारों वर्षो से भारतीय लोग लोटे मे पानी पीते आ रहे है।
कारण : पानी सबसे सम्बेदनशील द्रव्य है। जिस बस्तु मे इसको रखा जाता है उसी का गुण धारण कर लेता है। चुंकि गोल बस्तु का पृष्ठ तनाव न्यूनतम होता है इसलिए गोल लोटा का पानी भी न्यूनतम पृष्ठतनाव धारण करता है। यही पानी छोटी आंत और बड़ी आंत मे जाकर आंत के मेम्ब्रेन के तनाव को कम करता है जिससे मेम्ब्रेन फैल जाता है और उसमे फसा हुआ कचरा आसानी से मल के रूप मे निकल जाता है। इस प्रकार हमारा पेट साफ और शरीर स्वास्थ्य हो जाता है।
अंग्रेजी संस्कृति का पात्र ग्लास एक-रेखिय होने के कारण इसका पृष्ट तनाव बहुत होता है जिसके कारण इसके जलका पृष्ठ तनाव भी बहुत बढ़ जाता है । यही जल आंतो के पृष्ठ तनाव को बढ़ाकर आंतो को संकुचित कर देता है जिससे आंतो का कचरा मेम्ब्रेन मे फसा ही रह जाता है।
हमारे माता पिता हमेशा हमे खड़े खड़े पानी पीने से रोकते है क्योकि खड़े खड़े पानी पीने से जल का एक-रेखिय दबाब पडता है जिससे सीने पर आघात और आंतों पर तनाव बढ़ जाता है जिससे संकुचित आंत कचरे की निकासी नही कर पाती है फलस्वरूप शरीर बीमार हो जाता है।