तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर देश को नई दिशा देने लगेंगे तो देश का भला ठीक वैसा होगा जैसे लालू-राबड़ी ने बिहार का किया था

 *तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर देश को नई दिशा देने लगेंगे तो देश का भला ठीक वैसा होगा जैसे लालू-राबड़ी ने बिहार का किया था, भाषा और विषय का ज्ञान होता तो आज वो अपनी हैसियत में रह कर बड़बोलापन नहीं करते: प्रशांत किशोर*

पटना: तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर देश को नई दिशा देने लगेंगे तो देश का कोई भला होने वाला नहीं है। इसके बावजूद तेजस्वी यादव को मेरी शुभकामनाएं है। तेजस्वी के मां-बाप बिहार में मुख्यमंत्री रहे और तेजस्वी खुद उपमुख्यमंत्री रहे, बिहार को तो उन्होंने दिशाहीन कर दिया। बिहार की जनता ने अगर तेजस्वी को जिम्मेदारी दी है तो बिहार में कुछ विभागों की दशा ठीक कर दें। बिहार में अस्पतालों की दशा सुधार दें, बिहार में सड़कों की दशा सुधार दें, बिहार में ग्रामीण कार्य मंत्रालय में आने वाले नालियों-गलियों की दशा सुधार दें। देश में उनके लिए दशा की बात करना ठीक ऐसा ही है जैसे अंग्रेजी में एक कहावत है "Punching above your weight" मतलब उनके कद से बहुत बड़ी बात है। उन्हें अपनी बात करनी चाहिए। ऐसी बात करने वालों को बड़बोला पन कहा जाता है। बिहार में लोगों को इस चीज की बहुत आदत है। 


*भाषा और विषय का ज्ञान है नहीं लेकिन बैठ कर इजराइल और फिलिस्तीन पर तीखा टिप्पणी करेंगे, रोजगार दिया नहीं लेकिन तीखा टिप्पणी कर रहे हैं कि गाजा में क्या हो रहा है: प्रशांत किशोर*


तेजस्वी यादव को न भाषा का ज्ञान है न विषय का ज्ञान है, लेकिन तीखा टिप्पणी करनी होगी तो बैठ कर इजराइल और फिलिस्तीन पर करेंगे। बिहार में गरीब बच्चों के शरीर पर कपड़ा नहीं है, खाने के लिए खाना नहीं है, रोजगार नहीं है लेकिन तीखा टिप्पणी ये कर रहे हैं कि गाजा में क्या हो रहा है। यहां पर नेताओं को भी ऐसी आदत लग गई है। बेवकूफ़ी को यहां पर नेताओं ने जमीनी हकीकत मान लिया है। ऊलजलूल बात करने वालों को समाज के लोग जमीनी नेता मानते हैं, जिसको न भाषा का ज्ञान है, न विषय का ज्ञान है। आदमी ने यहां शर्ट के ऊपर गंजी पहन लिया तो यहां का समाज उसे जमीनी नेता मानने लगता है।

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